अंशों के अनुसार ग्रहों की अवस्थाएं

अंशों के अनुसार ग्रहों की 5 अवस्थाएं

जिस प्रकार इस जगत में मनुष्यों की बाल, कुमार, युवा एवं वृद्ध अवस्थाएं होती हैं, ठीक उसी प्रकार ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की भी बाल, कुमार, युवा एवं वृद्ध अवस्थाएं होती हैं। ग्रहों की ये अवस्थाएं जातक के जन्मांग फलित ठीक उसी प्रकार प्रभावित करती हैं, जैसे मानव की अवस्थाएं उसके जीवन को।

मनुष्य अपनी कुमार व युवावस्था में बलवान व सशक्त होता है। ग्रह भी अपनी अपनी कुमार व युवावस्था में बलवान व सशक्त होता है। अब यदि जन्मांग चक्र में शुभ ग्रह बलवान हुआ तो वह जातक अत्यंत शुभ फल प्रदान करेगा और यदि शुभ ग्रह अशक्त व निर्बल हुआ तो वह जातक शुभ फल प्रदान करने में असमर्थ रहेगा। अत: जातक की कुंडली में शुभ ग्रहों का ग्रहावस्था अनुसार बलवान व सशक्त होना अतिआवश्यक होता है।

मनुष्यों की विविध अवस्थाएं उसकी आयु के अनुसार तय होती हैं जबकि ग्रहों की उनके अंशों के अनुसार। ज्योतिष शास्त्र में प्रत्येक ग्रह 30 अंश का माना गया है।

ग्रह कितने अंश तक किस अवस्था में होता है-

1. यदि ग्रह विषम राशि में स्थित होता है तब यह-

* 0-6 अंश तक बाल अवस्था
* 6-12 अंश तक कुमार अवस्था
* 12-18 अंश तक युवा अवस्था
* 18-24 अंश तक वृद्ध अवस्था
* 24-30 अंश तक मृतावस्था का माना जाता है।

2. यदि ग्रह सम राशि में स्थित होता है तब यह-

* 0-6 अंश तक मृतावस्थ।
* 6-12 अंश तक वृद्ध अवस्था।
* 12-18 अंश तक युवा अवस्था।
* 18-24 अंश तक कुमार अवस्था वृद्ध अवस्थ।
* 24-30 अंश तक बाल अवस्था का माना जाता है।

कुछ मत-मतांतर से ग्रह को 18-24 तक प्रौढ़ एवं 24-30 अंश तक वृद्ध मानते हैं और केवल शून्य (0) अंशों का होने पर ही मृत मानते हैं। जैसा कि उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि शुभ ग्रहों का उनकी अवस्था के अनुसार बलवान व सशक्त होना जातक को शुभ फल प्रदान करने हेतु अतिआवश्यक होता है।

ज्योतिष में ग्रहो की कई प्रकार की अवस्थाओं का वर्णन मिलता है. यह अवस्थाएँ ग्रहों के अंश अथवा अन्य कई तरह के बलों पर आधारित होती हैं. इन्हीं अवस्थाओं में से ग्रहों की एक अवस्था बालादि अवस्थाएँ होती हैं. जिनमें ग्रहों को उनके अंशों के आधार पर बल मिलता है.

बालादि अवस्था में सम राशि में स्थित ग्रह का बल तथा विषम राशि मे स्थित ग्रह का बल अलग होता है. इन बलों के अनुसार ही जातक अपने जीवन में ग्रहो के फलो को भोगता है. बालादि अवस्था में ग्रहो के बल उनके अंश तथा राशि पर आधारित होते है. राशि का महत्व इसलिए है क्योंकि सम राशि में स्थित ग्रह का फल विषम राशि में स्थित ग्रह से एकदम अलग हो सकता है.

जब भी दशा अनूकूल या प्रतिकूल होती है तो उन दशाओ में ग्रह अपनी अवस्था के अनुरुप फल प्रदान करता है. लेकिन हम सिर्फ इन अवस्थाओ से ही सारा फल कथन नही कर सकते यह तो मात्र अनुमान है. पूरे फल कथन में ग्रहों की यह अवस्थाएँ भी महत्व रखती हैं.

बालादि अवस्था को जानने के लिए राशि के 30 अंशो को 5 बराबर-बराबर भागो में बांटा जाता है. एक भाग 6 अंश का होता है. बालादि अवस्था का बल सम राशि तथा विषम राशि में अलग-अलग होता है.

बाल अवस्था में ग्रह की स्थिति

जन्म कुण्डली में कोई भी ग्रह यदि बाल अवस्था में स्थित है तब वह ग्रह छोटे बालक के समान निर्बल होता है. अपना फल देने में ग्रह पूर्ण रुप से सक्षम नही होता है. बाल अवस्था में स्थित ग्रह जिस भाव तथा जिस राशि मे बैठा होता है उसी के अनुसार कार्य करता है.

कुमार अवस्था में स्थित ग्रह

जन्म कुण्डली में ग्रह यदि कुमार अवस्था में किसी भी भाव या किसी भी राशि में स्थित है तब यह स्थिति बाल अवस्था से कुछ बेहतर मानी जाती है. इस अवस्था में ग्रह के भीतर कुछ फल देने की क्षमता होती है. इस अवस्था में ग्रह अपना एक तिहाई फल प्रदान करता है.

युवा अवस्था में स्थित ग्रह

ग्रह की युवा अवस्था अत्यधिक शुभ तथा बली मानी गई है. इस अवस्था में ग्रह अपने सम्पू्र्ण फल प्रदान करता है. इसमें ग्रह एक युवा के समान बली होता है तथा दशा अनुकूल होने और कुण्डली विशेष के लिए वह ग्रह अनुकूल होने पर जातक Sको सारे सुख प्रदान करता है. उदाहरण के लिए कुण्डली में अगर दशमेश की दशा हो और ग्रह युवा अवस्था में स्थित हो तो जातक इस दशा मे उन्नति करता है.

वृ्द्ध अवस्था में स्थित ग्रह

इस अवस्था में स्थित ग्रह एक वृद्ध के समान निर्बल होता है. ग्रह फल देने मे सक्षम नही होता और यदि उसी ग्रह की दशा भी चल रही हो तब वह व्यक्ति के लिए शुभफलदायी नहीं रहेगी. माना किसी व्यक्ति की कुण्डली में उच्च राशि में ग्रह स्थित है लेकिन वह वृद्धा अवस्था में है तो जातक उस ग्रह की दशा में अधिक उन्नति नहीं कर पाएगा.

मृत अवस्था में स्थित ग्रह

मृत अवस्था में स्थित ग्रह अपने पूरे फल नहीं दे पाता क्योंकि ग्रह मृत व्यक्ति के समान मूक होता है. ग्रह अपनी दशा में अपने स्वरुप फल नही देता. वह जिस भाव में तथा जिस राशि में होता है उसी के अनुसार फल प्रदान करता है. यदि लग्नेश कुंडली मे बली होकर भी मृत अवस्था में स्थित हो तो वह जातक को शारीरिक सुख में कमी प्रदान कर सकता है.

TPS VEDGURUKULAM ACHARYA DHIRENDRA DELHI INDIA

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