श्रीकृष्ण का जीवन
भगवान श्रीकृष्ण का जीवन क्रम (श्रीमद्भागवत महापुराण, विष्णुमहापुराण, ब्रह्मपुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण, हरिवंशपुराण, देवी भागवत पुराण, आदि पुराण, गर्ग संहिता, महाभारत, और जैमिनी महाभारत के आधार पर) |
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ईशापूर्व |
श्रीकृष्ण संवत् |
युधिष्ठिर संवत् |
आयु |
तिथि/दिनाँक/वार |
घटनाक्रम |
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3228
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1
1
1 |
-
-
- |
0
6 दिन
3 माह |
भाद्रकृष्णा, अष्टमी, 21 जुलाई बुधवार भाद्रकृष्णा चतुर्दशी, 27 जुलाई मंगलवार मार्गशीर्ष |
मथुरा कंस के कारागार में माता देवकी के गर्भ से जन्म, षष्ठी स्नान, कंस की विषकन्या पूतना का वध
शकट-भाजन |
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3227 |
1 2 |
- - |
5 माह 20 दिन 1 वर्ष |
मघ शुक्ला चतुर्दशी - |
अन्न प्राशन संस्कार, तृणावर्त वध |
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3226 |
3 |
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2 वर्ष |
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गर्गजी द्वारा नामकरण संस्कार |
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3225 |
3 |
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2 वर्ष 6 माह |
चैत्र |
यमलार्जुन (नलकूबर और मणिग्रीव) उद्धार गेकुल से वृन्दावन जाना |
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3224 |
5 |
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4वर्ष |
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वत्सासुर और बकासुर वध |
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3223 |
6 6 6 6 |
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5 वर्ष 5 वर्ष 5 वर्ष 3 दिन 5 वर्ष 3 माह |
भद्रपदकृष्ण-एकादशी मार्गशीर्ष |
अघासुर का वध ब्रह्माजी का मान भंग करना कालिय मर्दन, दावाग्नि पान गोपियों का चीर हरण |
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3222 |
6 |
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5 वर्ष 8 माह |
ज्येष्ठ-आषाढ़ |
यज्ञपत्नियों पर कृपा |
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3221 |
8 8
8
8 |
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7 वर्ष 2माह 7दिन 7 वर्ष 2माह
7वर्ष 2माह 14दिन
7वर्ष 2माह 18 दिन |
कार्तिक शुक्ला प्रतिपदा कार्तिक शुक्ला प्रतिपदा से सप्तमी कार्तिक शुक्ला , अष्टमी
कार्तिक शुक्ला द्वादशी |
गोवर्धन पूजा गोवर्धन धारण, इन्द्र का मान भंग
कामधेनु द्वारा अभिषेक, भगवान का गोविन्द नाम नाम ाम पड़ना नन्दजी का वरुणलोक से छुड़ाकर लाना |
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3220 |
9 |
- |
8 वर्ष 1माह 21दिन |
आश्विन पूर्णिमा |
गेपियों के साथ रासलीला |
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3219 |
9 9 10 |
- |
8 वर्ष 6माह 5दिन 8 वर्ष 6माह21दिन 9 वर्ष |
पाल्गुल कृष्ण चतुर्दशी पाल्गुन पूर्णिमा - |
सुदर्शन गंधर्व का उद्धार शंखचूड़ दैत्य का वध अरिष्टासुर (वृषभासुर) वध, और केशी दैत्य का वध, भगवान का केशव नाम पड़ना |
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3218 |
11 11 |
- - |
10वर्ष 2माह 20दिन |
कार्तिकशुक्ला चतुर्दशी कार्तिक पूर्णिमा |
मथुरा में धनुष भंग मथुरा में कंस वध, कंस के पिता उग्रसेन का मथुरा के सिंहासन पर राज्याभिषेक |
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3217 |
12 |
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11 वर्ष |
- |
अवन्तिका में सांदीपनि मुनि के गुरुकुल में 126 दिनों में छः अंगो सहित संपूर्ण वेदों, गजशिक्षा, अश्वशिक्षा और धनुर्वेद का ज्ञान प्राप्त
किया, पंचजन्य दैत्य का वध एवं
पांचजन्य शंख धारण, सांदीपिन मुनि का गुरु दक्षिणा |
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3216 |
13 |
- |
12 वर्ष |
- |
उपनयन संस्कार |
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3216-00 |
13-29 29 29 |
- - - |
12-28 28 वर्ष 28 वर्ष |
मथुरा में जरासन्ध को 17 बार पराजित किया सिंधु सागर में द्वारका
नगरी की स्थापना मथुरा में कालयवन की सेना का संहार |
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3199-91 |
30-38 |
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29-37 वर्ष
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कार्तिक कृष्णा चतुर्दशी |
रुक्मिणी हरण, द्वारका में रुक्मिणी से विवाह, स्यमन्तक मणि प्रकरण, जाम्बवती, सत्यभामा एवं कलिन्दी से विवाह, केकय देश की कन्या भ्द्रा से विवाह, मद्रदेश की कन्या लक्ष्मणा से विवाह, प्राग्जोतिषपुर में नरकासुर का वध, नरकासुर की कैद से 16,100 कन्याओं को मुक्तकर स्वीकार कर द्वारका
भेजना, अमरावती में इन्द्र से
अदिति के कुण्डल प्राप्त किये, इन्द्रादि देवताओं को जीतकर पारिजात वृक्ष (कल्पवृक्ष) का द्वारका लाना, नरकासुर से छुड़ाई गई 16,100 कन्याओं से द्वारका में विवाह करना, शोणितपुर में बाणासुर से युद्ध, ऊषा और अनिरुद्ध के साथ द्वारका लौटना, पैण्ड्रक, काशीराज, उसके पुत्र सुदक्षिण और कृत्या का वधा तथा
काशी दहन। |
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3190 |
39 |
- |
38 वर्ष 4 माह 17दिन |
द्रौपदी स्वयंवर में पांचाल राज्य में उपस्थित |
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3189-83 |
40-46 |
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39-45 वर्ष |
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विश्वकर्मा से कहकर पाण्डवों के लिये इन्द्रप्रस्थ का
निर्माण |
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3157 |
72 |
- |
71 वर्ष |
सुभद्रा हरण में अर्जुन की सहायता करना |
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3155 |
74 |
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73 |
श्रावण |
इन्द्रप्रस्थ में खण्डव-वन दाह में अग्नि और अर्जुन की
सहायता, मय-दानव को सभा-भवन निर्माण के लिये आदेश |
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3153 |
76 |
- |
75 वर्ष
75 वर्ष 2माह 20 दिन 75 वर्ष 3 माह |
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कार्तिक शुक्ला चतुर्दशी |
धर्मराज युधिष्ठिर से राजसूय यज्ञ के निमित्त
इन्द्रप्रस्थ आगमन जरासन्धवध में भीमसेन की सहायता जरासन्ध के कारागार से 20,800 राजाओं को मुक्त किया, मगध के सिंहासन पर जरासन्ध के पुत्र सहदेव
का राज्याभिषेक |
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3152 |
76 |
75 वर्ष 6 माह 9 दिन 75 वर्ष 7 माह 75 वर्ष 10माह 24दिन 75 वर्ष 11 माह |
पाल्गुन शुक्ला प्रतिपदा
श्रावण कृष्णा तृतीया श्रावण |
राजसूय यज्ञ में अग्रपूजित, शिशुपाल का वध, द्वारका में शिशुपाल के भाई शाल्व का वध प्रथम द्यूतक्रीडा में द्रौपदी की लज्जा रक्षा वन में पण्डवों से भेंट, सुभद्रा और अभिमन्यु को साथ ले द्वारका
प्रस्थान। |
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3139
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90
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89 वर्ष 1माह 17दिन
89 वर्ष 2 माह
89 वर्ष 2माह 8दिन
89 वर्ष 2माह 19दिन 89 वर्ष 3माह 89 वर्ष 3माह
89 वर्ष 3माह 17दिन
89 वर्ष 4माह |
आश्विन शुक्ला एकादशी
कार्तिक
कार्तिक शुक्ला द्वितीया, रेवती नक्षत्र, मैत्र मुहूर्त कार्तिक शुक्ला त्रयोदशी मार्गशीर्ष कृष्णा अष्टमी मार्गशीर्ष कृष्णा अष्टमी से चतुर्दशी मार्गशीर्ष शुक्ला एकादशी
मार्गशीर्ष शुक्ला एकादशी से पौष कृष्णा अमावस्या |
अभिमन्यु और उत्तरा के विवाह में बारात लेकर विराट नगर
पहुँचे विराट की राज्य सभा में कौरवों के अत्याचारों और
पाण्डवों के धर्म-व्यवहार का वर्णन करते हुए किसी सुयोग्य दूत को हस्तिनापुर
भेजने का प्रस्ताव, द्रुपद को सौंपकर द्वारका प्रस्थान, द्वारका में दुर्योधन और अर्जुन दोनों की सहायता की स्वीकृति, अर्जुन का सारथ्य कर्म स्वीकार करना पाण्डवों का संधि-प्रस्ताव लेकर हस्तिनापुर प्रस्थान सन्धि प्रस्ताव लेकर हस्तिनापुर पहुँचे, राजसभा में अपने विश्वरूप का प्रदर्शन कर्ण को पाण्डवों के पक्ष में आने के लिये समझाना, कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को भगवद्गीता का उपदेश महाभारत युद्ध में अर्जुन के सारथी, युद्ध में पाण्डवों की अनेक प्रकार से
सहायता |
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3138 |
90
90 90 |
-
1 |
89 वर्ष 4माह 7दिन
89 वर्ष 4माह 8दिन 89 वर्ष 7माह 7दिन |
पौष शुक्ला प्रतिपदा
पौष शुक्ला द्वितीया चैत्र शुक्ला प्रतिपदा |
अश्वत्त्थामा को 3,000 वर्षों तक जंगल में भटकने का श्राप गांधारी द्वारा श्राप प्राप्ति धर्मराज युधिष्ठिर का राज्याभिषेक |
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3137-36 |
91-92 |
2-3 |
91-92 वर्ष |
धर्मराज युधिष्ठिर के अश्वमेध यज्ञ में सम्मिलित |
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3102 |
126 126 126 |
37 37 37 |
125वर्ष 4माह 125वर्ष 5 माह 125वर्ष 5 माह 21दिन |
- माघ माघ शुक्ला पूर्णिमा 18 फरवरी शुक्रवार |
द्वारका में यदुवंश का विनाश उद्धवमुनि को उपदेश प्रभाष क्षेत्र में स्वर्गारोहण 28वें कलियुग का प्रारम्भ। |
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कान्हादर्शन ज्योतिष केन्द्र — संस्थापक : आचार्य धीरेन्द्र
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