श्रावणी कर्म (उपाकर्म)
श्रावणी
कर्म (उपाकर्म)
श्रावणी
उपाकर्म 02 अगस्त 2012 गुरुवार को मनाया जायेगा।
इस वर्ष इस दिन भद्रा
न होने से प्रातःकाल से लेकर कभी भी श्रावणी कर्म किया जा सकता है वैसे तो प्रायः काल
प्रातःकाल में ही इस महान् पर्व को मनाने की परम्परा रही है।
श्रावण शुक्ल पक्ष
पूर्णिमा को श्रावणी कर्म (उपाकर्म) प्रातः काल नदी या तालाब या गंगा जी के तट पर उपाकर्म
के अनुसार संकल्प करके पंचगव्य पीकर सब शारीरिक पाप नष्ट करके जल में विविध प्रकार
के गोबर मिट्टी, भस्म, दूर्वा, अपामार्ग आदि से मंत्रों द्वारा स्नान करें। एक वर्ष
के जो जान अनजान में होने वाले पापों को नष्ट करके तर्पण तथा सूर्य उपस्थान करें। फिर
घर में आकर गणेश, कलश, सप्तऋषि आदि का पूजन कर यज्ञोपवीत पूजन कर नया यज्ञोपवीत धारण
करे।। ऋषि वंशावली का पठन श्रवण करें। अपने से बड़ों को यज्ञोपवीत (जनेऊ) श्रद्धपूर्वक
प्रदान करें। तदनन्तर हवन करके ब्राह्मण भोजन के पश्चात् स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें।
।। इति ।।
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