शनिवार माहात्म्य एवं कथा विधि
शनि-ग्रह
की शांति तथा सुखों की इच्छा रखने वाले स्त्री-पुरुषों को शनिवार का व्रत करना चाहिए
। विधिपूर्वक शनिवार का व्रत करने से शनिजनित संपूर्ण दोष, रोग-शोक नष्ट हो जाते हैं,
धन का लाभ होता है । स्वास्थ्य, सुख तथा बुद्धि की वृद्धि होती है । विश्व के समस्त
उद्योग, व्यवसाय, कल-कारखाने, धातु उद्योग, लौह वस्तु, समस्त तेल, काले रंग की वस्तु,
काले जीव, जानवर, अकाल मृत्यु, पुलिस भय, कारागार, रोग भय, गुरदे का रोग, जुआ, सट्टा,
लॉटरी, चोर भय तथा क्रूर कार्यों का स्वामी शनिदेव है । शनिजनित कष्ट निवारण के लिए
शनिवार का व्रत करना परम लाभप्रद है । शनिवार के व्रत को प्रत्येक स्त्री-पुरुष कर
सकता है । वैसे यह व्रत किसी भी शनिवार से आरंभ किया जा सकता है । श्रावण मास के श्रेष्ठ
शनिवार से व्रत प्रारंभ किया जाए तो विशेष लाभप्रद रहता है । व्रती मनुष्य नदी आदि
के जल में स्नान कर, ऋषि-पितृ अर्पण करे, सुंदर कलश जल से भरकर लावे, शमी अथवा पीपल
के पेड़ के नीचे सुंदर वेदी बनावे, उसे गोबर से लीपे, लौह निर्मित शनि की प्रतिमा को
पंचामृत में स्नान कराकर काले चावलों से बनाए हुए चौबीस दल के कमल पर स्थापित करे ।
काले रंग के गंध, पुष्प, अष्टांग, धूप, फूल, उत्तम प्रकार के नैवेद्य आदि से पूजन करे
। शनि के इन दस नामों का उच्चारण करे-
ॐ
कोणस्थाय नमः, ॐ रौद्रात्मकाय नमः, ॐ शनैश्चराय नमः, ॐ यमाय नमः, ॐ बभ्रवे नमः, ॐ कृष्णाय
नमः, ॐ मंदाय नमः, ॐ पिप्पलाय नमः, ॐ पिंगलाय नमः, ॐ सौरये नमः ।
शमी
अथवा पीपल के वृक्ष में सूत के सात धागे लपेटकर सात परिक्रमा करे तथा वृक्ष का पूजन
करे । शनि पूजन सूर्योदय से पूर्व तारों की छांव में करना चाहिए । शनिवार व्रत-कथा
को भक्ति और प्रेमपूर्वक सुने । कथा कहने वाले को दक्षिणा दे । तिल, जौ, उड़द, गुड़,
लोहा, तेल, नीले वस्त्र का दान करे । आरती और प्रार्थना करके प्रसाद बांटे ।
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