Thursday, May 24, 2012

श्‍ा‌नि उपाय


शनिवार माहात्म्य एवं कथा विधि
शनि-ग्रह की शांति तथा सुखों की इच्छा रखने वाले स्त्री-पुरुषों को शनिवार का व्रत करना चाहिए । विधिपूर्वक शनिवार का व्रत करने से शनिजनित संपूर्ण दोष, रोग-शोक नष्ट हो जाते हैं, धन का लाभ होता है । स्वास्थ्य, सुख तथा बुद्धि की वृद्धि होती है । विश्‍व के समस्त उद्योग, व्यवसाय, कल-कारखाने, धातु उद्योग, लौह वस्तु, समस्त तेल, काले रंग की वस्तु, काले जीव, जानवर, अकाल मृत्यु, पुलिस भय, कारागार, रोग भय, गुरदे का रोग, जुआ, सट्टा, लॉटरी, चोर भय तथा क्रूर कार्यों का स्वामी शनिदेव है । शनिजनित कष्ट निवारण के लिए शनिवार का व्रत करना परम लाभप्रद है । शनिवार के व्रत को प्रत्येक स्त्री-पुरुष कर सकता है । वैसे यह व्रत किसी भी शनिवार से आरंभ किया जा सकता है । श्रावण मास के श्रेष्ठ शनिवार से व्रत प्रारंभ किया जाए तो विशेष लाभप्रद रहता है । व्रती मनुष्य नदी आदि के जल में स्नान कर, ऋषि-पितृ अर्पण करे, सुंदर कलश जल से भरकर लावे, शमी अथवा पीपल के पेड़ के नीचे सुंदर वेदी बनावे, उसे गोबर से लीपे, लौह निर्मित शनि की प्रतिमा को पंचामृत में स्नान कराकर काले चावलों से बनाए हुए चौबीस दल के कमल पर स्थापित करे । काले रंग के गंध, पुष्प, अष्टांग, धूप, फूल, उत्तम प्रकार के नैवेद्य आदि से पूजन करे । शनि के इन दस नामों का उच्चारण करे-

ॐ कोणस्थाय नमः, ॐ रौद्रात्मकाय नमः, ॐ शनैश्चराय नमः, ॐ यमाय नमः, ॐ बभ्रवे नमः, ॐ कृष्णाय नमः, ॐ मंदाय नमः, ॐ पिप्पलाय नमः, ॐ पिंगलाय नमः, ॐ सौरये नमः ।
शमी अथवा पीपल के वृक्ष में सूत के सात धागे लपेटकर सात परिक्रमा करे तथा वृक्ष का पूजन करे । शनि पूजन सूर्योदय से पूर्व तारों की छांव में करना चाहिए । शनिवार व्रत-कथा को भक्ति और प्रेमपूर्वक सुने । कथा कहने वाले को दक्षिणा दे । तिल, जौ, उड़द, गुड़, लोहा, तेल, नीले वस्त्र का दान करे । आरती और प्रार्थना करके प्रसाद बांटे ।

Poojan Samagri


Poojan Samagri

  1. ROLI
  2. MAULI
  3. NARIYAL
  4. DHOOP
  5. AGARBATTI
  6. LAUNG
  7. ELAYACHI
  8. SUPADI
  9. KAPOOR
  10. MACHISH
  11. SINDOOR
  12. PANCHMEWA
  13. HALDI, SABUT-PAWDER
  14. PEELI SARSO
  15. JANEU
  16. GHEE
  17. SHAHAD
  18. BOORA
  19. ITTRA
  20. CHAWAL
  21. DEEPAK
  22. KEVADA JAL
  23. GULAB JAL
  24. KAPDA WIGHT
  25. WASTRA
  26. RET
  27. PHOOL, MALA
  28. DAHI
  29. DOODH
  30. PAN PATTA
  31. AAM PATTA
  32. PHAL
  33. MEETHA
  34. THALI PLEN
  35. KATORI
  36. CHAMMACH
  37. GILAS
  38. LOTA Purana
  39. LOTA NAYA
  40. AASAN
  41. BATTI, RUI
  42. HAWAN SAMAGRI
  43. TIL
  44. JAU
  45. CHAWAL
  46. GHEE
  47. BOORA
  48. GOOGLE
  49. KAMAL GATTA
  50. LOWAN
  51. NAVAGRAH SAMIDHA
  52. AAM KI SAMIDHA
  53. BEL GIRI
  54. GOLA
  55. BHOJ PATTRA
  56. KATORI NAYI
  57. BHAGONA NAYA
  58. HAWAN KUND

शिव पंचाक्षर स्त्रोत


शिव पंचाक्षर स्त्रोत

 नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय
 नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मै न काराय नम: शिवाय:॥

मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय
 मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम: शिवाय:॥

शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय
 श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:॥

वषिष्ठ कुभोदव गौतमाय मुनींद्र देवार्चित शेखराय
 चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै व काराय नम: शिवाय:॥

यज्ञस्वरूपाय जटाधराय पिनाकस्ताय सनातनाय
 दिव्याय देवाय दिगंबराय तस्मै य काराय नम: शिवाय:॥

पंचाक्षरमिदं पुण्यं य: पठेत शिव सन्निधौ
 शिवलोक वाप्नोति शिवेन सह मोदते॥


शिव पंचाक्षर स्त्रोत भक्तों की हर मनोकामना पूरी करता है।

शिव तांडव स्तोत्रम्




शिव तांडव स्तोत्रम्


जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले , गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम् ।

डमड्डमड्ड्मड्ड्मन्निनादवड्ड्मर्वयं , चकार चण्डताण्डवं तनोतु न: शिव:शिवम् ॥ 1 ॥

जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी-विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूध्र्दनि ।

धगध्दगध्दगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके , किशोरचन्द्रशेखरे रति: प्रतिक्षणं मम ॥ 2 ॥

धराधरेन्द्ननन्दिनीविलासबन्धुबन्धुर-स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे ।

कृपाकटाक्षधोरणीनिरुध्ददुर्धरापदि , क्वचिद्दिगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥ 3 ॥

जटाभुजंगपिंगलस्फुरत्फणामणिप्रभा-कदम्बकुंकुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे ।

मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे , मनोविनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥ 4 ॥

सहस्त्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर-प्रसूनधुलिधोरणीविधुसराङध्रिपीठभू: ।

भुजंगराजमा्लया निबध्दजाटजूटक: , श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखर: ॥ 5 ॥

ललाटचत्वरज्वलध्दनञ्ज्यस्फुलिंगभा-निपीतपंचसायकं नमन्निलिम्पनायकम् ।

सुधामयुखलेखया विराजमान शेखरं , महाकपालि सम्पदे शिरो जटालमस्तु न: ॥ 6 ॥

करालभाल्पट्टिकाधगध्दगध्दगज्ज्वलध्दनञ्ज्याहुतीकृतप्रचण्डपंचसायके ।

धराधरेन्द्ननन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रकप्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम ॥ 7 ॥

नवीनमेघमण्डलीनिरुध्ददुर्धरस्फुरत्कुहुनिशीथिनीतम: प्रबन्धबध्दकन्धर: ।

निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुर: , कलानिधानबन्धुर: श्रियं जगदधुरन्धर: ॥ 8 ॥

प्रफुल्लनीलपंकजप्रपंचकालिमप्रभावलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबध्दकन्धरम् ।

स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं , गजच्छिदान्धकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे ॥ 9 ॥

अखर्वसर्वमंगलाकलाकदम्बमञ्जरी , रसप्रवाहमाधुरीविजृम्भणामधुव्रतम् ।

स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं , गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे ॥ 10 ॥

जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमभ्दुजंगमश्व्र्स , द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट् ।

धिमिध्दिमिध्दिमिद्ध्वनन्मृदंगतुन्गमंगलध्वनिक्रमप्रवर्तितप्रचण्ड्ताण्डव: शिव: ॥ 11 ॥

दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजंगमौक्तिकस्रजोर्गरिष्ठरत्नलोष्ठ्यो: सुहृद्विपक्षपक्षयो: ।

तृणारविन्दचक्षुषो: प्रजामहीमहेन्द्रयो: , समप्रवृत्तिक: कदा सदाशिवं भजाम्यहम् ॥ 12 ॥

कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुंजकोटरे वसन् , विमुक्तदुर्मति: सदा शिर:स्थमञ्जलिं वहन् ।

विलोललोचनो ललामभाललग्नक: , शिवेति मन्त्रामुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ॥ 13 ॥

इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं , पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुध्दिमेति सन्त्ततम् ।

हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं , विमोहनं हि देहिनां सुशंकरस्य चिन्तनम् ॥ 14 ॥

पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं , य: शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे ।

तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरंगयुक्तां , लक्ष्मीं सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भु: ॥ 15 ॥

शयन, उपवेशन, नेत्रपाणि प्रकाशन, गमन, आगमन, सभा वास, आगम, भोजन, नृत्य लिप्सा, कौतुक, निद्रा-अवस्था-कथन

  शयन , उपवेशन , नेत्रपाणि प्रकाशन , गमन , आगमन , सभा वास , आगम , भोजन , नृत्य लिप्सा , कौतुक , निद्रा-अवस्था-कथन   शयनं चोपवेशं च नेत्र...