Saturday, November 10, 2012

अन्नकूट

।। बलि पूजा-गोवर्धन अन्नकूट ।।

कार्तिक मास की प्रतिपदा को बलि राजा की पूजा करनी चाहिये। जो मनुष्य इस दिन बलि की पूजा करता है, वह वर्ष भर सुखपूर्वक रहता है। शालग्राम की शिला में सभी देवी देवताओं का पूजन हो सकता है।
।। गोवर्धन पूजन ।।
इस दिन चैकी में मनुष्य के आकार का गिरिराज बनाकर पूजन करना चाहिये। रात्रि में गौ पूजन एवं बछड़े का पूजन तथा गायों को गुड़ मिठाई खिलाना चाहिये। ऐसा करने से गिरिराज भक्ति प्रदान करते हैं। गिरिराज पूजन गोपों से कराकर भगवान् कृष्ण ने एक नया वास्तविक दर्शन कराया। जब गोपों के द्वारा कन्हैया ने गोवर्धन पूजन कराया तब इन्द्र क्रोधित होकर मेघों द्वारा वज्र के द्वारा व्रत को नष्ट करना चाहा तब तो गोपाल ने बायें हाथ की सबसे छोटी अंगुली पर धारण कर सबकी रक्षा की। इन्द्र ने हार मानकर क्षमा मांगी। फिर भी श्रीकृष्ण की सरलता एवं निरभिमानता देखिये। इन्द्र से बोलेµआपकी पूजा का परित्याग कर गोवर्धन पूजन किया। आपने जो दण्ड देना चाहा वह उचित था। परन्तु मैं क्या करूं। मेरी शरण में सब गोप गये। मेरी लाचारी कि मैं आपका छोटा भाई हूं। यदि आप प्रसन्न हैं, तो यह उत्सव गोवर्धन पूजा के लिये गोपों को दे दीजिये। यदि प्रसन्नों देवेश उत्सवोयं प्रदीयताम्। भगवान श्री कृष्ण का दिग्दर्शन था। यह अहंकार ही पहाड़ है। इसे भी ईश्वर समझोगे तो उठा सकते हैं। ईश्वर तो हल्के से भी हल्का है। अपने आप ही उठ जायेगा। यदि ईश्वर समझोगे तो अहंकार रूपी पर्वत आपको दबाकर समाप्त कर देगा। सर्वत्र ईश भावना रखो। प्रभु का इन्द्र के प्रति वाक्य तो देखिये। तवाज्ञापरिपालकः मैं छोटा भाई हूं। तेरी आज्ञा का पालन करने वाला हूं।
।। यम द्वितीया भैया दूज ।।
कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया को यमराज एवं चित्रगुप्त का दावात् कलम का पूजन करना चाहिये। यह कायस्थ जाति का बहुत बड़ा पर्व है।
मसि भाजन संयुक्तं ध्याये महाबलम्।
लेखिनी पट्टिका हस्तं चित्रगुप्तं नमाम्यहम्।।
इस दिन बहिन के यहां ही भोजन ग्रहण करना चाहिये। यदि सगी बहन तो फफआ या चाचा, ताऊ, मामा की फत्री के यहां भोजन करें। घर में भोजन नहीं करना चाहिये। इस दिन भाई-बहन दोनों यमुना जी में स्नान करें। यह विशेष विधान है। बहिन के यहां भोजन करके साड़ी रुपया आदि से बहिन का यथाशक्ति सत्कार करें। और बहिन को प्रसन्न करें। बहिन भाई की दीर्घायु की कामना से यम का पूजन करें। तथा अष्ट, चिरंजीवीयों का पूजन करें। अष्ट चिरंजीवियों से प्रार्थना करे हे प्रभु आप मरे भाई की दीर्घायु करना।

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