Monday, April 16, 2012

संस्कृत महा विद्यालय


।। श्री गणेशाय नमः ।।  श्री सरस्वत्यै नमः।। श्री वेद पुरुषाय नमः।।
।। श्री त्रिपुरसुन्दर्यै नमः ।। श्री वेद पुरुषाय नमः ।। श्री वेदान्त महागुरवे नमः ।।
निर्माणाधीन
श्रीत्रिपुरसुन्दरी शक्ति समिति
त्रिपुरसुन्दरी स्वशासी संस्कृत महा विद्यालय श्रीधाम वृन्दावन जिला मथुरा (.प्र.)
संस्थापक : आचार्य धीरेन्द्र
भगवान् श्री राधाकृष्ण की विहार स्थली में विद्यादान का एक संकल्पः-
कोई धन दान करता है, कोई वस्त्र दान करता है, तो कोई भूमि दान करता है लेकिन विद्यादान के विषय में अब विचार करना चाहिए। क्योकि आजके बदलते युग में परम्परागत देवभाषा, कहें तो संस्कृत भाषा का प्रायः लोप होता दिखाई दे रहा है। हम चाहते तो हैं कि हमारे घर विद्वान् ब्राह्मण आएँ और पूजन-पाठ कराएँ, यह तो तभी संभव हो सकता है जब हम संकल्प लें कि इस महाविद्या का दान करेंगे, वास्तव में यदि संस्कृत को आगे बढ़ाएँगे तो निश्चित रूप से समाज एवं राष्ट्र भी आगे बढ़ेगा। क्योंकि संस्कृत का अर्थ ही है संस्कार प्रदान करना और धर्म को आगे बढ़ाना।
हमने जाकर अनेकानेक तीर्थों में निरीक्षण किया है और वहाँ पता चला है कि यदि पढनें का स्थान है तो रहनें का नहीं है| रहनें का स्थान है तो पढ़नें का नहीं है। कदाचित रहनें और पढ़नें का स्थान है तो भोजन की कोई व्यवस्थाएँ नहीं हैं।
अतः हमारी यह अभिलाषा है कि गरीब ब्राह्मण बालकों को वह सब कुछ मिले जो वेद आदि के अध्ययन में सहयोग प्रदान करते हैं। जैसेः- पढ़ाने के लिए योग्य विद्वान, वस्त्र, भोजन व्यवस्था, रहनें की सुविधा, आदि।
यह संकल्प तभी पूर्ण हो सकता है जब आप भी हमारे विचारों से सहमत होंगे, और हमारा साथ देंगे।।
जय श्री कृष्ण
आज ही सदस्य बनें
सदस्यता शुल्क:
मासिक : 100
वार्षिक : 1200
संकल्प हम सबका
आचार्य धीरेन्द्र
117 गोविन्द खण्ड विश्वकर्मा नगर झिलमिल कालोनी शाहदरा दिल्ली 110095
फोन नं. 9871662417-9210067801
Email: kanhadarshan@gmail.com/web:www.tripursundari.org

No comments:

Post a Comment

शयन, उपवेशन, नेत्रपाणि प्रकाशन, गमन, आगमन, सभा वास, आगम, भोजन, नृत्य लिप्सा, कौतुक, निद्रा-अवस्था-कथन

  शयन , उपवेशन , नेत्रपाणि प्रकाशन , गमन , आगमन , सभा वास , आगम , भोजन , नृत्य लिप्सा , कौतुक , निद्रा-अवस्था-कथन   शयनं चोपवेशं च नेत्र...