वेदांत
वेदांत शब्द 'वेद' और 'अंत' इन दो शब्दों के मेल से बना है, अत: इसका वाक्यार्थ वेद अथवा वेदों का अंतिम भाग है। वैदिक साहित्य मुख्यत: तीन भागों में विभक्त है-
कर्मकाण्ड
ज्ञानकाण्ड
उपासनाकाण्ड
साधारणत: वैदिक साहित्य के ब्राह्मण भाग को, जिसका सम्बन्ध यज्ञों से है, उसे कर्मकाण्ड कहते हैं
उपनिषदें ज्ञानकाण्ड कहलाती हैं जिसमें उपासना भी सम्मिलित है।
उपासनाकाण्ड का अर्थ क्रमश: 'तात्पर्य', 'सिद्धांत' तथा 'आंतरिक अभिप्राय' अथवा मंतव्य भी किया गया है।
देवी-देवता, मनुष्य, पशु-पक्षी, सारा विश्वप्रपच, नाम-रूपात्मक जगत ब्रह्म से भिन्न नहीं; यही वेदांत अर्थात वेदसिद्धांत है। जो कुछ दृष्टिगोचर होता है, जो कुछ नाम-रूप से सम्बोधित होता है, उसकी सत्ता ब्रह्म की सत्ता से भिन्न नहीं।
मनुष्य का एक मात्र कर्त्तव्य ब्रह्मज्ञान प्राप्ति, ब्रह्ममयता, ब्रह्मस्वरूप की प्राप्ति है। यही एक बात वेदों का मौलिक सिद्धांत, अंतिम तात्पर्य तथा सर्वोच्च-सर्वमान्य अभिप्राय है। यही वेदांत शब्द का मूलार्थ है। इस अर्थ में वेदांत शब्द से उपनिषद ग्रंथों का साक्षात् बोध होता है। परवर्ती काल में वेदांत का तात्पर्य वह दार्शनिक सम्प्रदाय भी हो गया जो उपनिषदों के आधार पर केवल ब्रह्म की ही एक मात्र सत्ता मानता है। कई सूक्ष्म भेदों के आधार पर इसके कई उपसम्प्रदाय भी हैं, जैसे अद्वैतवाद, विशिष्टाद्वैत, शुद्धाद्वैतवाद आदि।
भर्तुमित्र, जयन्त कृत 'न्यायमंजरी' तथा यामुनाचार्य के 'सिद्धित्रय' वेदांत आचार्य रहे थे।
Acharya Dhirendra
Shri Tripursundari ved Gurkulam
Tuesday, February 16, 2016
Vedant (वेदांत)
Saturday, February 6, 2016
नरक चतुर्दशी
नरक निवारण चतुर्दशी कल है ।💐मौनी आमावस्या💐
08-02-2016 इस आमवस्या का विशेष महत्त्व माना गया हैं। इसको "दर्श अमावस्या" "योग अमावस्या" भी कहा गया हैं। कल के दिन आपके पूजा-पाठ, व्रत-उपवास करने से आप अपने कुंडली के अशुभ ग्रहों को शुभ बना सकते हैं।
हमारे शास्त्रों में "मौन" को बहुत बड़ा व्रत माना जाता हैं। तपश्चर्या करने वाले और मौन रहकर आध्यात्म और धर्म की सेवा साधना करने वाले संतों को हमारे सामाजिक जीवन में "मुनि" कहा जाता हैं। मौन सबसे बड़ी साधना है और मौन व्रती की आतंरिक शक्तियां इतनी अधिक विकसित हो जाती हैं कि वह साधक को संसार की समस्त वस्तुएँ सहज ही उपलब्ध करवा देती हैं। गौतम बुद्ध जैसे साधक भी अपनी मौन साधना की वजह से जगत्प्रसिद्ध हो गए हैं। 🍀
वास्तव में अमावस्या तिथि को हम पितरों के निमित्त अपनी जो भी श्रद्धा और समर्पण का भाव और सम्मान अर्पित करते है उनसे हमारे पितृ देव सब प्रसन्न होकर हमें आशीर्वाद देते है और उनके इस उपकार से हम उनका आशीर्वाद पाकर अपने ग्रह दोषों को अनुकूल बना सकते हैं। इसी पितृ पूजा को हम हमेशा से अमावस्या को करते आये हैं। कल की अमावस्या का भी इसी क्रम में विशेष महत्त्व बन गया हैं। कल के दिन का व्रत करने से पूजा आदि करने से हम अपने कुंडली के अशुभ ग्रह के साथ साथ अपने जीवन में हो रही आर्थिक परेशानियों, लड़ाई झगड़ा, कर्ज आदि से भी मुक्ति पा सकते है।🍀
💢 अब आइये जानते है की क्या कैसे पूजा करनी है और किसकी करनी है ?
मृत्यु पश्चात् मुक्ति के देवता महादेव श्री शंकर जी ही हमारे पितरों से आशीर्वाद दिलाने वाले देवता हैं। कल एक तो चतुर्दशी, और ऊपर से रविवार का दिन और नरक निवारण चतुर्दशी साथ साथ माघ का पावन महीना और मौनी अमावस्या इन सबका एक अद्भुत संयोग बना है जो आपके थोड़े से पूजा पाठ प्रयास से आपको बहुत अधिक सफलता दिला सकता हैं।🍀
🌹कल सुबह और परसो भी स्नान ध्यान पश्चात् आप थोड़ी देर या कुछ घंटे या जितना संभव है उतना देर मौन व्रत रखिये और स्नान के समय ही अपने पितृ देवों के उद्धार के लिए व्रत का संकल्प लेना हैं। अपनी श्रद्धा भक्ति के अनुसार आप भगवान शिव जी की पूजा अर्चना करिये। अपने गुरु प्रदत्त मन्त्र या अपने इष्ट का मंत्र जाप पूजा करिये और उनसे अपने कष्टों के निवारण की प्रार्थना करिये। कल पीपल को काला तिल डालकर जल देकर अपने पितरों से एवं श्री नारायण और माता महालक्षमी से अपने ओवर कृपा की प्रार्थना करिये।
किसी धर्मानुचारी ब्राह्मण को अपने यहाँ बुलाकर श्रद्धा पूर्वक भोजन आदि करवाकर दान दीजिये। गाय को और किसी निर्धन को भोजन करवा कर आप अपने समस्त जाने अनजाने पापों का नाश कर सकते हैं। कल के और परसो के दिन आप किसी पुण्य स्थल, धर्म स्थल, पवित्र नदी पर स्नान दान जाप पूजा किसी भी प्रकार का पुण्य आपके समस्त पापों का नाश करके आपके जीवन को सफल बना सकता हैं। 🍀🙏 निवेदन करना है की सोमवार के दिन कम से कम क्रोध करिये और जादा से जादा मौन रहिये। मौन से हमारे शरीर में ऊर्जा का विशेष संग्रह होता है और सकारात्मक ऊर्जा हमारे जीवन में हमें सफकता दिलाती हैं। यहाँ आप स्वयं देखिये की दूसरा भाव वाणी का कारक भाव और धन कुटुंब का कारक भाव भी वही होता है। जब आप मौन रहेंगे तब कुटुंब के साथ साथ आपका धन भी बढ़ता चला जायेगा। 💢🌹🍀
💢🌹सावधानी : आसुरी प्रवृत्तियों की बलशाली अवस्था के चलते पूरी दुनिया में अमावस्या के दिन निर्माण कार्य मकान हो या कल कारखाने आदि के नहीं होते हैं। कल के दिन वाहन चलाने और किसी भी खतरनाक से लगने वाले कामों में सावधानी जरुरी हैं।🍀
💢💢🙏 जय श्रीहरि 🙏💢
[सोमवार को होने से यह सोमवती आमावस्या भी कहा गया है
कहते हैं भगवान शिव संसार के कष्ट मिटाने इस दिन आते हैं ।
🌷जय शम्भो🌷
शुभमस्तु
Shri Tripursundari ved gurukulam
💐💐🙏🙏💐💐
शयन, उपवेशन, नेत्रपाणि प्रकाशन, गमन, आगमन, सभा वास, आगम, भोजन, नृत्य लिप्सा, कौतुक, निद्रा-अवस्था-कथन
शयन , उपवेशन , नेत्रपाणि प्रकाशन , गमन , आगमन , सभा वास , आगम , भोजन , नृत्य लिप्सा , कौतुक , निद्रा-अवस्था-कथन शयनं चोपवेशं च नेत्र...

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कुंडली में 12 भाव और मनुष्य जीवन में उनका महत्व वैदिक ज्योतिष के अनुसार जन्म कुंडली के 12 भाव व्यक्ति के जीवन के संपूर्ण क्षेत्रों...